सुहेलदेव

 शीर्षक - सुहेलदेव


सूर्यवंशी सुहेलदेव थे,

शासक एक महान।

चंद शब्दों में हो न पाए,

उनकी महिमा बखान।।


गोंडा बहराइच पर था,

श्रावस्ती पति का राज।

बड़े जतन से करते थे,

अपना सारा काज।।


महमूद गजनवी का भांजा आया,

करने कोशल पर अधिकार।

नाम सालार मसऊद गाजी था,

जो बढ़ आया बहराइच के द्वार।।


आततायी धर्मांध था गाजी,

रग-रग में थी चालाकी।

लोभ राजत्व का देकर किया,

सम्मान हिंदुओ का बाकी।।


गायों को सम्मुख कर के,

फिर अपनाई वही रणनीति।

आपद्धर्म समझ सुहेलदेव ने,

विफल की मसऊद की नीति।।


अपने शौर्य पराक्रम का जन में,

सुहेलदेव ने परिचय दिया अनंत।

चित्तौरा ताल पर किया,

मसऊद गाजी का अंत।।


यवनों के आक्रमण से की,

भुरायचा दुर्ग की रक्षा।

अपने वीरता से दिया,

कोशल देश को सुरक्षा।।


आज भी है चित्तौरा ताल पर,

उनका विजय प्रतीक।

हिंदुओं की रक्षा को तत्पर,

था शासक वो निर्भीक।।


-शालिनी मिश्रा तिवारी ( कवयित्री )

सहायक अध्यापिका / लाइब्रेरी इंचार्ज

बाल शिक्षा निकेतन गर्ल्स इंटर कॉलेज, बहराइच





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