आज खुली है मधुशाला
शीर्षक- आज खुली है मधुशाला
आज खुली है मधुशाला तोकैसा मचा हुआ कोहराम है
छोटे बड़े सब बोल रहे हैं
तथाकथित हाल खास-आम है।।
विषम घड़ी है देश की,
अर्थव्यवस्था बिगड़ रही।
लॉकडाउन का मातम कब तक,
चोट कोष पर बड़ी पड़ी।
मन्दी को तेजी करने का ये हुआ सारा इंतज़ाम है
आज खुली है मधुशाला तो कैसा मचा कोहराम है
सामाजिक मंचों पर सब तो,
विरोध का राग आलाप रहे।
पर चोरी चुपके-चुपके से तो,
मयखाने का रास्ता नाप रहे।
व्हाइट हो गया देश का धन,ब्लैक का काम तमाम है।
आज खुली है मधुशाला तो,कैसा मचा कोहराम है।।
है इतनी जो बुरी सुधा तो,
क्यों लम्बी लगी कतार है।
दौड़-दौड़ सब खरीद रहे,
मन्दी का ऐसा व्यापार है।
सुदृढ़ हो जाएगी अर्थव्यवस्था,दृढ़ता को न विराम है।
आज खुली है मधुशाला तो,कैसा मचा कोहराम है।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच,उ०प्र० )
New thinking
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