पिय बिन जीवन
पिय !
तुम बिन जीवन कुछ नही,
तुमसे साज़ श्रृंगार।
तुम रूठो तो मुस्कान भी रूठे,
रूठ जाए संसार।।
नहीं चाहिए कोई गहना,
न हीरा न मोती।
सारी उम्र बस मेरे रहना,
मांगू बस ये मनौती।
मिल जाता सर्व सुख जब
मिलता बाहों का हार।
तुम रूठो तो दुनिया रूठे
रूठ जाए संसार।।
उद्विग्नता जब मन पर छाती,
सीने पे सिर रख सो जाती।
भूल के सारी उलझन मन की,
सुकून-ए-शहर में खो जाती।
माथे पे स्नेहिल सा हाथ जब रखते,
मिलता बाबुल-सा प्यार।
तुम रूठो तो दुनिया रूठे,
रूठ जाए संसार।।
अखण्ड रहे सौभाग्य हमारा,
अखण्ड रहे सिंदूर।
अखण्ड रहे ये मंगल धागा,
रहे कभी न दूर।
चरण-धूलि माथे पर लगाकर
जीवन लूं मैं तार।
तुम रूठो तो दुनिया रूठे,
रूठ जाए संसार।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी✍️
( बहराइच, उ०प्र० )
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