दीप प्रज्वलन
🙏🙏सादर समीक्षार्थ🙏🙏
दीप प्रज्ज्वलन
नौ बजे रखकर समय का ध्यान,
करे प्रज्वलित दीप विश्वास का।
नौ मिनट का दिया जलाकर,
दोगुना बल हो मंगल विकास का।।
एक दिए का मूल्य,है अनमोल ब्रह्मांड में,
है संस्कृति हमारी जो है कर्म और कांड में।
हर घर जलता दिया कहेगा,
हम है वसुधैव कुटुंब।
मन के भीतर का खत्म करेंगे,
जो है तमस का कुंभ।।
है दुष्कर दुरुह मगर,
फिर भी प्रयास तो करना है।
कोरोना से लड़ने को मन में,
सबके आस तो भरना है।।
आओ एकजुट हो जाये हम,
दीप जला ले आशाओं का।
कर ले जग उजियारा घर में,
तोड़ दे पट बाधाओं का।।
है दीये में प्रचंडता इतनी,
दूर करेगा जग महामारी।
जलाये हम एक दीप अनोखा,
काल बन सब पर होगा भारी।।
ज़ह्र जो फैला है जग में,
दिखा दे एकता का बल हम।
अपने घर में उजाला कर,
अँधेरे को मुंह चिढ़ा दे हम।।
मनःशक्ति से हरा दे,
कोरोना भीति।
बार फिर से मना ले,
दीपावली रीति।।
पर्याय बनेंगें विश्व पटल में,
अखण्डता के होंगे प्रहरी।
जगमग कर हम द्वार-अट्टालिका,
शान्ति-निद्रा लेंगे गहरी।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच,उ०प्र० )
दीप प्रज्ज्वलन
नौ बजे रखकर समय का ध्यान,
करे प्रज्वलित दीप विश्वास का।
नौ मिनट का दिया जलाकर,
दोगुना बल हो मंगल विकास का।।
एक दिए का मूल्य,है अनमोल ब्रह्मांड में,
है संस्कृति हमारी जो है कर्म और कांड में।
हर घर जलता दिया कहेगा,
हम है वसुधैव कुटुंब।
मन के भीतर का खत्म करेंगे,
जो है तमस का कुंभ।।
है दुष्कर दुरुह मगर,
फिर भी प्रयास तो करना है।
कोरोना से लड़ने को मन में,
सबके आस तो भरना है।।
आओ एकजुट हो जाये हम,
दीप जला ले आशाओं का।
कर ले जग उजियारा घर में,
तोड़ दे पट बाधाओं का।।
है दीये में प्रचंडता इतनी,
दूर करेगा जग महामारी।
जलाये हम एक दीप अनोखा,
काल बन सब पर होगा भारी।।
ज़ह्र जो फैला है जग में,
दिखा दे एकता का बल हम।
अपने घर में उजाला कर,
अँधेरे को मुंह चिढ़ा दे हम।।
मनःशक्ति से हरा दे,
कोरोना भीति।
बार फिर से मना ले,
दीपावली रीति।।
पर्याय बनेंगें विश्व पटल में,
अखण्डता के होंगे प्रहरी।
जगमग कर हम द्वार-अट्टालिका,
शान्ति-निद्रा लेंगे गहरी।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच,उ०प्र० )
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें