रात ने खबर दी है बहुत हो चुकी है भागमभाग दिन भर की आओ मेरे आगोश में खो जाओ भुला दो तपन दिन की सो जाओ सुकूँ की नींद छुपा लूँगी बाहों में तुमको सितारों से टँकी दूँगी चादर पहरा रहेगा स्याह रातों का खुला आसमाँ बिछौना होगा
मसरूफ इस कदर है वो वक़्त खैरियत का भी नहीं ये दिल्लगी अच्छी भी है और नागवार भी।। चंद रोज़ हैं ज़िन्दगी के क्या उन्हें पता नहीं अनजान बनना ठीक है और ख़ुशगवार भी।।